यह फ़िल्म अब इंडिया में भी ........
पाकिस्तान की चर्चित फ़िल्म 'ख़ुदा के लिए' भारत और पाकिस्तान के सिनेमा प्रेमियों के लिए एक अच्छी ख़बर लेकर आई है.
भारत के सिनेमाघरों में इस फ़िल्म का प्रदर्शन अप्रैल 2008 में किया जाएगा.
शोएब मंसूर निर्देशित इस फ़िल्म के प्रदर्शन के साथ ही दोनों देशों में फ़िल्मों के प्रदर्शन पर क़रीब 40 साल से लगा प्रतिबंध हटने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
इस फ़िल्म में भारतीय फ़िल्म के प्रसिद्ध अभिनेता नसीरूद्दीन शाह भी दिखेंगे.
पाकिस्तान में भारतीय फ़िल्मों के प्रति लोगों की काफ़ी दिलचस्पी रही है. चोरी-छिपे आए सीडी पर जिसे वे देखते भी रहे हैं. लेकिन भारत में पाकिस्तान की फ़िल्मों का ज़िक्र नहीं के बराबर होता है.
पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों देखने के लिए काफ़ी भीड़ उमड़ती है और टेलीविज़न धारावाहिकों के साथ-साथ गानों की सीडी, वीसीडी और डीवीडी हर दुकान पर मिल जाती हैं लेकिन हाल के समय में लोगों ने भारतीय फ़िल्मों की वजह से सिनेमाघरों का रुख़ किया है.
भारत में इस फ़िल्म को लेकर उत्सुकता है
सरकारी पाबंदी के बावजूद भारतीय फ़िल्में ख़ासी लोकप्रिय हैं और मुग़लेआज़म, ताजमहल और गोल वहाँ के सिनेमाघरों में पहले ही प्रदर्शित हो चुकी हैं.
जहाँ भारत में हर वर्ष एक हज़ार फ़िल्में बनती हैं वहीं पाकिस्तान का फ़िल्म उद्योग ख़स्ताहाल है. पाकिस्तान में कई सिनेमाघर बंद हो चुके हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने यह शर्त रखी है कि यदि एक हिंदी फिल्म पाकिस्तान में प्रदर्शित होगी तो उसके बदले एक पाकिस्तानी फिल्म को भी भारत में प्रदर्शित किया जाएगा.
उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच फ़िल्मों के आदान-प्रदान से पाकिस्तानी फ़िल्म उद्योग की स्थिति सुधरेगी.
भारतीय फिल्मों को भी पाकिस्तान में एक नया दर्शक वर्ग मिलेगा.
फिल्म 'ख़ुदा के लिए' का कथानक अमरीका में 11 सितंबर 2001 को हुए चरमपंथी हमले के बाद पाकिस्तानी और मुस्लिम समुदाय के लोगों को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा इसके इर्द-गिर्द घूमता है.
भारत के सिनेमाघरों में इस फ़िल्म का प्रदर्शन अप्रैल 2008 में किया जाएगा.
शोएब मंसूर निर्देशित इस फ़िल्म के प्रदर्शन के साथ ही दोनों देशों में फ़िल्मों के प्रदर्शन पर क़रीब 40 साल से लगा प्रतिबंध हटने का रास्ता साफ़ हो जाएगा.
इस फ़िल्म में भारतीय फ़िल्म के प्रसिद्ध अभिनेता नसीरूद्दीन शाह भी दिखेंगे.
पाकिस्तान में भारतीय फ़िल्मों के प्रति लोगों की काफ़ी दिलचस्पी रही है. चोरी-छिपे आए सीडी पर जिसे वे देखते भी रहे हैं. लेकिन भारत में पाकिस्तान की फ़िल्मों का ज़िक्र नहीं के बराबर होता है.
पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों देखने के लिए काफ़ी भीड़ उमड़ती है और टेलीविज़न धारावाहिकों के साथ-साथ गानों की सीडी, वीसीडी और डीवीडी हर दुकान पर मिल जाती हैं लेकिन हाल के समय में लोगों ने भारतीय फ़िल्मों की वजह से सिनेमाघरों का रुख़ किया है.
भारत में इस फ़िल्म को लेकर उत्सुकता है
सरकारी पाबंदी के बावजूद भारतीय फ़िल्में ख़ासी लोकप्रिय हैं और मुग़लेआज़म, ताजमहल और गोल वहाँ के सिनेमाघरों में पहले ही प्रदर्शित हो चुकी हैं.
जहाँ भारत में हर वर्ष एक हज़ार फ़िल्में बनती हैं वहीं पाकिस्तान का फ़िल्म उद्योग ख़स्ताहाल है. पाकिस्तान में कई सिनेमाघर बंद हो चुके हैं.
रिपोर्टों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने यह शर्त रखी है कि यदि एक हिंदी फिल्म पाकिस्तान में प्रदर्शित होगी तो उसके बदले एक पाकिस्तानी फिल्म को भी भारत में प्रदर्शित किया जाएगा.
उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच फ़िल्मों के आदान-प्रदान से पाकिस्तानी फ़िल्म उद्योग की स्थिति सुधरेगी.
भारतीय फिल्मों को भी पाकिस्तान में एक नया दर्शक वर्ग मिलेगा.
फिल्म 'ख़ुदा के लिए' का कथानक अमरीका में 11 सितंबर 2001 को हुए चरमपंथी हमले के बाद पाकिस्तानी और मुस्लिम समुदाय के लोगों को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा इसके इर्द-गिर्द घूमता है.